27 December, 2008



अपने नसीब पर खडी रोती है इन्सानियत
भूखे पेट अनाज बोती है इन्सानियत
मां का आन्चल भी दागदार हो गया
कचरे में भ्रूण पडी रोती है इन्सानियत
आसमां की बुलन्दियों को छूती इमारतें
फिर भी फुटपाथ पर पडी सोती है इन्सानियत
घर की लक्ष्मी घर की लाज है वो
सडक पर कार में रेप होती है इन्सानियत
रिश्ते नाते धन दौलत में बदल गये
भाई की गोली से कत्ल होती है इन्सानियत
यथा राजा तथा प्रजा नहीं कहा बेवजह
नेताओं की नीचता पर शर्मसार होती है इन्सानियत
मैं नेता बनूंगा
एक दिन बेटे से पूछा ;बेटा क्या बनोगे?:
कौन सा प्रोफेश्न अपनाओगे,किस राह पर जाओगे
वह थोडा हिचकिचाया,फिर मुस्कराया और बोला
मैं नेता बनूंगा
मैं हुआ हैरान उसकी सोच पर परेअशान
नेता बनना होता है क्या इतन आसान?
फिर पूछा :बेटा नेता जैसी योग्यता कहां से लाओगे
लोगों में अपनी पहचान कैसे बनाओगे
वह बोला मुझे सब पता है
नेता के लिये मिनिमम कुयालिफिकेशन है---
1पहली जमात से ऊपर पास हो या फेल्
2 किसी न किसी केस में कम से कम एक बार हुई हो जेल
3 मैथ् मे करोडों तक गिनत जरुरी है इस के बिना नेतागिरी अधूरी है
4 माइनस डिविजन चाहे ना आये पर प्लस मल्टिफिकेशन बिना
नेता बनने की चाह अधूरी है
5 सइकालोजी थोडी सी जान ले
ताकि वोटर की रग पह्चान ले
6 डराईंग में कलर स्कीम का ग्याता हो
गिर्गिट की तरह रंग बदलना आता हो
लाल, काले सफेद से ना घबराये
नेता की पोशाक में हर रंग समाये
7 पिताजी बस अब भाई दादाओं के हुनर जानना है उस के लिये किसी अछे डान को
गुरू मानना है
डाक्टर इंजनिय्र बनकर मै भूखों मर जाऊंगा
नेता बन कर ही होगा गाडी बंगला और विदेश जा पाऊंगा
मैने सोचा, बहुमत में नेताओंको ऎसा पाया
और अपने बेटे की बुधी पर हर्शाया

25 December, 2008



ऎ वरदा ऎ सौभाग्य वती,
तेरे अपने घर मे
तेरा व्यपार्
तेरा तिरस्कार्
तेरी पीडा बड्ती जा रही है.
मैं अपनी असमर्थता पर,
शर्मसार हूं,
लाचार हूं,
मैं तेरी कर्जदार हूं.
मुझे याद है वो दिन ,
जब इसी घर के रन बांकुरे,
तुझे पाने को
तेरा गौर्व बढाने को ,
बसन्ती चोले पहन
प्रतिश्ठा की पगडी बांध
सरफरोशी की तमन्ना लिये,
तुझे व्याह कर दुल्हन बना कर लाये थे
तेरी उपलब्धि अपनी सम्पदा पर,
सब कितना हुलसाये थे,
हर्शाये थे.
अपना कर्तव्य निभा,
तुझे लोकहित समर्पित कर ,
अपने शृ्द्धा-सुमन अर्पित कर
चले गये,
कभी ना आने के लिये.
मुझे याद है किस तरह तूने ,
परतन्त्रता की कालिमा को धोकर,
अपनी स्वर्णिम किरणे दे कर,
इस देश पर अन्न्त उपकार किया
अथाह प्यार दिया.
पर तेरा ये द्त्तक हुया पथभृ्श्ट,
जीवन मुल्यों से निर्वासित ,
बुभुक्शा
जिगीशा
लिप्सा
से क्षुधातुर,
दानव बना जा रहा है,
तुझे बोटी बोटी कर खा रहा है.
तुझे पतिता बना रहा है .
एक दुखद आभास,
तेरे व्यपार का
तेरे तिरस्कार का
मेरे अहं को
जड बना रहा है,
दानव का उन्मांद,
दूध के उफान सा
जब बह जायेगा
तेरा गौरवमई लाव्णय
क्या रह जायेगा
तेरी बली पर
बाइतबार,
तेरे शाप क हक् दार,
देख रही हू लोमहर्शक ,
दावानल हो उदभिज ,
इस देश को निगल जायेगा
तेरा अभिशाप नहीं विफल जायेगा
मैं जडमत लाचार हूं
शर्म सार हूं
.

21 December, 2008


ब्च्चो मै हूं तुम्हारी दादी मेरा नाम है आजादी,
अपनी फरियाद सुनाने आई हूं,मैं तुम्हें जगाने आई हूं,
जब देशभक्त परवानों ने आजादी के दिवानों ने,
दुशमन से मुझे छुडाया था तो अपना लहू बहाया था,
मुझे अपने बेटों को समर्पित कर वो चले गये,
कुछ ही वर्शों में मेरे बेटे भी बदल गये,
देश को बोटी बोटी कर खा रहे हैं, मुझे पतिता बना रहे हैं,
अपना हाल सुनाने आई हूं, मै तुम्हें जगाने आई हूं
बडे बडे नेता अधिकारी बन गये हैं,
सिर से पाँव तक भृ्श्टाचार में सन गये हैं,
संविधान की धज्जियां उडा रहे हैं,
स्वयं हित भाई से भाई लडा रहे हैं,
वीरों की कुर्वानी भूल गये हैं,
आदर्श इतिहास सब धूल गये हैं,
इनके घोटालों का बसता भारी है,
कोने कोने मे शड्यंन्त्रकारी है,
देश की ताजा तस्वीर दिखाने आई हूँ, मैं तुम्हें ज्गाने आई हूँ.
बच्चो ये भारत देश तुम्हारा है,
इस पर अब हक तुम्हारा है,
तुम्हारे अविभावक कर देंगे इसे निलाम,
तुम फिर से बन जाओगे गुलाम,
अपनी संस्कृ्ति को तुम पेह्चान लो,
अपने कर्तव्य को भी जान लो,
इन भृ्श्टाचारियों से देश बचाओ,
प्यार से ना माने तो अर्जुन बन जाओ,
तुम्हे़ खबर्दार बनाने आई हूं, मैं तुम्हें जगाने आई हूँ

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