31 May, 2009

हवा का झोंका - कहानी
(गताँक से आगे)

--- आज मै तुम्हें बताऊँगी की मै कैसे अब् तक तुम से इतना प्यार करती रही हूँ एक पल भी कभी तुम्हें अपने से दूर नहीं पाया---जानते हो----------


जब भी खिडकी से कोई हवा का झौका आता है मै आँखें बँद कर लेती हूँ और महसूस करती हूँ कि ये झोंका तुम्हें छू कर आया है-----तुम्हारी साँसों की खुशबु साथ लया हैऔर मै भावविभोर हो जाती हूँ-----मेरे रोम रोम मे एक प्यारा सा एहसास होता है----कभी कभी इस झोंके मे कवल मिट्टी की सोंधी सी खुशबू होती है मै जान जती हूँ आज तुम घर पे नहीं हो कई बार इसमे तुम्हारी बगीची के गुलाब की महक होती है----मेरे होठों पर फूल सी मुस्कराह्ट खिल उठती है और अचानक मेरा हाथ अपने बालों पर चला जाता है जहाँ तुम अपने हाथ से इसे लगाया करते थे------फिर मुझे एह्सास होता कि तुम मेरे पास खडे हो-----तुम्हारा स्पर्श अपने कन्धे पर मेह्सूस करती--------इसी अनुभूति का आनन्द महसूस करने के लिये अपना हाथ चारपाई पर पडी अपनी माँ के माथे पर रख देती हूँ-------माँ की बँद आँखों मे भी मुझे सँतुश्टि और सुरक्षा का भाव दिखाई देता है------यही तो प्यार है-------जिसे हम एक जिस्म से बाँध दें तो वो अपनी महक खो देता है-----और अपँग भाई के चेहरे को सहलाती हूँ तो उसके चेहरे पर कुछ ऐसे भाव तैर उठते हैँ जो तुम्हारे होने से मेरे मन मे तैरते थे---------सच कहूँ तो तुम से प्यार करके मैने जीना सीखा है-----------मै तुम से शादी कर के इस प्यार के एहसास को खोना नहीं चाहती थी---तुम अपने माँ बाप के इकलौते बेटे थे वो कभी नहीं चाहते कि मै अपनी बिमार माँ और अपंग भाई का बोझ ले कर उनके घर आऊँ-----तुम्हें ले कर उनके भी कुछ सपने थे--------इला के जाने का गम अभी वो भूल नहीं पाये थे---------इस लिये मै चुपचाप दूसरे शहर चली आयी थी बिना तुम्हें बताये--------हम दोनो को कोई हक नहीं था कि हम उन लोगों के सपनो की राख पर अपना महल बनायें जिन से इस दुनिया मे हमारा वज़ूद है फिर प्यार तो बाँटने से बढता है---------हर दिन इन झोंकों के माध्यम से मै तुम्हारे साथ रहती हूँ---------मैने शादी नहीं की क्यों कि मै अपने प्यार के साथ जीना चाहती हूँ----------सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ---------इसे किसी जिस्म से बाँधना नहीं चाहती ------मै तो तुम्हारे एक एक पल का हिसाब जानती हूँ-----क्यों कि मेरी रूह ने मन की आँखो से तुम्हें मह्सूस किया है

मै अब भी महसूस कर सकती हूँ कि मेरी मेल् पढ कर तुम्हारी आँखोँ मे फिर वही चमक लौट आयेगी-------और इस मेल मे तुम्हें अपनी कविता------जो कविता ना रह कर शिकायत का पुलन्दा बन गयी थी मिल जायेगी-------तुम्हारी आँखों मे आँसू का कतरा मुझे यहाँ भी दिखाई दे रहा है--------फिर तुम कई बार मेरी मेल पढोगे------बार बार------ मुझे छू कर आया हवा का एक झोंका तुम्हें प्यार की महक दे जायेगा---- आँख बंद करके देखो महसूस करो-----मै तुम्हारे आस पास मिलूँगी-------मेरा प्यार तुम्हारी आत्मा तक उतर जायेगा--------अब तुम्हारे चेहरे पर जो सकून होगा उसे भी देख रही हूँ मन की आँखों से------ बस यही प्यार है--------यही वो एहसास है जो अमर है शाश्वत है------इसके बाद तुम एक कविता लिखने बैठ जाओगे मुझे पता है कि कविता वही जीवित रहती है जिसे महसूस कर जी कर लिखा जाये-------ये अमर कविता होगी
लिख कर नहीं जीना तुम्हें जी कर लिखना है--------इन झोंकों को जी कर -------देखना ये आज के पल हमारे प्यार के अमर पल बन जायेंगे--------चलो जीवन सँध्या मे इन पलों को रूह से जी लें-----जो कभी मरती नहीं है-------
देख तुम्हारा चेहरा केसे खिल उठा है जैसे मन से कोई बोझ उतर गया हो---------घर जाने को बेताब -------देखा ना इस हवा के झोंके को --------बस यही हओ प्यार--------जीवन को हँसते हुये गाते हुये इस के हर पल को हर रंग को खुशी से जीना------

18 comments:

Unknown said...

बेहद भावुक, संवेदनशील और प्रेम की अतल गहराइयों तक जाती कहानी है, वो दिन याद आ गए जब यार की गली में गुलमोहर के तले दिन गुज़ारा करते थे...बधाई.

रावेंद्रकुमार रवि said...

बहुत मार्मिक संस्मरण!

Ashutosh said...

bahut hi marmik baat likhi hai.

Yogesh Verma Swapn said...

nirmala ji, bahut hi anupam shabd chitra kheencha hai, darte darte ek baat poochh lun?

kya aapke jiwan se sambandhit hai.?

is pyaar ko kya naam dun?

MANVINDER BHIMBER said...

ये ख्याल ही बहुत खूबसूरत है .....बेहद भावुक, संवेदनशीलपोस्ट .....बधाई.

निर्मला कपिला said...

bilkul nahin mere jeevan se sambandhit nahin hai aise to maine pachason kahaniyan likhi hain kya sabhi mere jeevan se sambandhit ho sakti hain ye keval meri rachna hai meri abhivyakti hai sanvednaon ke prati
ravi ji ye sansmaran nahin hai ek kahani hai
swapan ji ye keval ek kahani hai

"अर्श" said...

आप इतनी बारीकी से कैसे हर चीज को महसूस करती है क्या ये ताज्र्बाकारी से आता है या ये ये सुखद अनुभूति सिर्फ महसूस करी जा सकती है... कमाल की बात आपके इस लेख में भी... बहोत ही भावुकता प्रर्दशित होता हुआ..

आपका
अर्श

रंजन (Ranjan) said...

बहुत खुबसुरत..

रावेंद्रकुमार रवि said...

कहानी संस्मरणात्मक है, शायद तभी ऐसा कहा गया!

vandana gupta said...

bahut hi marmik hai...........itni marmik rachana sirf ek samvedansheel hriday hi kar sakta hai.

P.N. Subramanian said...

दिल को छू लेने वाली.सुन्दर अल्लेख

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बेहद ह्र्दयस्पर्शी रचना!!!!!!!

ओम आर्य said...

सुन्दर अभिव्यक्ति........

Udan Tashtari said...

प्यार एक अहसास ही तो है-सुन्दर शब्दों में इस भावना को कहानी के माध्यम से व्यक्त किया है. कथा बाँधे रखती है और एक चित्र बनाते चलती है-सफल कहानी लिखी है मानो यथार्थ महसूस कर रहे हैं.

बधाई.

अजय कुमार झा said...

aaj ek raaj kee baat bataataa hoon aapko meri shrimati jee jo bahut kam blogs mein ghustee hain padhne ke liye ..aap unmein se ek hain...lekhanee kaa kya kahun...hameshaa kee tarah ...aur fir pyaar par to .....dhanyavaad.

Anonymous said...

बेहद भावुक और संवेदनशील पोस्ट...

धन्यवाद.

Sajal Ehsaas said...

ek pal me jaise kitne hi jazbaato ko mahsoos kar liya....jaise kai zindagiyaan saath jeene ki koshish karne laga ye dil...bahuta chha likhaa hai...

maine ek naatak post ki hai,uspe aapke sujhaav mile to aabhaaree rahoonga
www.pyasasajal.blogspot.com

बाल भवन जबलपुर said...

: मार्मिक पोस्ट के लिए आभार
सच कितना सरल प्रवाह है आलेख में
भाषा भी वर्तुलाकार नहीं
सादर

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