19 May, 2010

कैलिफोर्निया ब्लागरज़ मीट

कैलिफोर्निया ब्लागर मीट
विदेश मे किसी हमवतन दोस्त मित्र् के मिलने पर जो खुशी  मिलती है वो शब्दों मे नहीं कही जा सकती। अमेरिका आने के बाद पता चला कि डा़ श्रीमती अजित गुप्ता जी भी अमेरिका आ रही हैं और वो भी जिस सिटी मे मै आयी हूँ वहाँ, तो खुशी का ठिकाना नही रहा। वो चार मई को कैलिफोर्निया आयी तो अगले दिन फोन पर बात हुयी। बस फिर क्या था ब्लागर मीट का स्थान और समय तय हो गया। स्थान था मैन्शन  ग्रोव  सान्टा क्लारा मेरी बेटी के घर पर , 11 मई को शाम 6 बजे । लेकिन वो आयी इन्डियन स्टैन्डर्ड टाईम पर मतलव 7 बजे।[ अजित जी मजाक कर रही हूँ बुरा न मानें]
मै अजित जी को बहुत पहले से जानती थी जब वो ब्लागर भी नही थी। जब वो मधुमती पत्रिका की सम्पादक बनी तब से और कुछ पढूँ या न पढूँ उनके सम्पादकीय जरूर पढती थी। उनसे मिलने की इच्छा जरूर थी मगर लगता नही था कि कभी मिलेंगे। फिर जब ुन्होंने अपना ब्लाग बनाया तो मुझे सब से अधिक खुशी हुयी। अब तक जो उनकी छवी उनकी तस्वीरें देख कर बनी थी लगता था कि उम्र मे मुझ से बडी होंगी लेकिन उस दिन देखा तो हैरान  रह गयी । वो तो मुझ से भी छोटी हैं। है तो दो साल छोटी मगर देखने मे कई साल छोटी लगती हैं उनकी भोली सी सूरत और सौम्य सा चेहरा देख कर मै तो मोहित हो गयी। उनके साथ उनके पति उनका बेटा और बहु भी थे। उनका बेटा यहाँ सिस्को कम्पनी मे कार्यरत है। हम भारतितों मे एक खासियत है कि हम चाहे किसी भी राज्य से सम्बन्धित हों मगर हम एक दूसरे से जब भी मिलते हैं कहीँ न कहीँ  अपनी जान पहचान निकल ही आती है। उस दिन भी अइसा ही हुया अजित जी ने बताया कि वो भारत विकास परिषद् संस्था की राष्ट्रीय चैयरपर्सन हैं, इस सिलसिले मे वो यहाँ आने से पहले  पठानकोट [पंजाब्] गयी थी। मेरे दामाद ने कहा कि पठानकोट तो मेरा घर है, आप वहाँ किसे जानती हैं उन्होंने बताया कि मेरे बेटे के बहुत पक्के  दोस्त वहाँ रहते हैं
 जब उन्होंने उसका नाम बताया तो वो मेरे दामाद के कजिन निकले बस फिर तो और कई सूत्र मिलते गये और कई यादें ताज़ा होती रही। उनके पति डाक्तर गुप्ता जी भी बहुत मृ्दु स्वभाव के हैं बेटा बहुत भी बहुत मिलनसार हैं। बहु ने यहाँ से डेण्टिस की डिग्री ली है उसी समारोह मे भाग लेने के लिये अजित जी अमेरिका आयी हैं। लगभग तीन घन्टे तक हम लोग खूब गप्पें लडाते रहे।जित जी मेरे लिये अपनी पुस्तक बौर आये बौराँऊँ नहीं{ सांस्कृतिक  निबन्ध] की पुस्तक उपहार सवरूप लाई थी मैने उन्हें अपनी कहानी पुस्तक प्रेम सेतु भेंट की। इस तरह खाते पीते हंसते बातें करते हमारा ब्लाग सम्मेलन समाप्त हुया। आज कल वो लास अन्ज्लेस गयी हैं उनके आने पर मै भी उनके घर जाऊँगी सब से बडी बात है कि मेरी बेटी के घर और उनके घर मे वाकिन्ग डिस्टेन्स है। पैदल सैर करते हुये निकल जायेंगे।   ब्लाग पर भी कुछ चर्चा हुयी मगर अधिक नही। की हाँ  बच्चों ने जरूर हमारी ब्लाग मीट पर फबतियाँ कसी। अब पते की बात ये है कि अगर हम दोनो ब्लागर न होती तो क्या अइसे विदेश मे मिल पाती? आखिर ब्लाग से ही एक दूसरे के इतना करीब आने का अवसर मिला। काश अइसी ब्लागमीट फिर से हो। तस्वीरें देखें और कामना करें कि एक ब्लागमीट यहाँ अइसी हो जिस मे बहुत बडी संख्या मे हम लोग{हिन्दी ब्लागर्ज़्} इकठे हों। क्या अइसा हो सकता है? आप लोग सोचें फिर मिलते हैं। हाँ 22 मई को यहां  एक कवि सम्मेलन है मगर बच्चे हमे लास एन्जलेस घुमाना चाहते हैं शायद वो कवि सम्मेलन मै न देख पाऊँ। अगर देखा तो जरूर रिपोर्ट लिखूँगी।पोस्ट बहुत जल्दी मे लिखी है किसी दिन दोबारा पूरा ब्योरा लिखूँगी।

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