23 August, 2014

दिव्य अनुभूति-- कविता

दिव्य अनुभूति

 ये कैसी है अनुभूति
 कैसा है अनुराग
 मेरे अंतस मे
 तेरे सौरभ की
 रजत किरणों का आभास
 मुझे लिये जाता है
 अनन्त आकाश की ओर
 जहां मै तू है
 और तू मै हू
 सब एक हो जाता है
हां यही है दिव्य अनुभूती
 दिव्य अनुराग
 तेरे सौरभ की
 रजत किरणों का आभास

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